प्राणायाम की विधी: कंठ को सिकुड़ कर श्वास इस प्रकार लें व छोड़ें की श्वास नलिका से घर्षण करते हुए आए और जाए।
22.
5-2-4-2 की लय में (5 उच्छा्वसन और 4 अंत:श्वसन होता हैं) धीमी गति से लयबद्ध श्वसन से धड़ और श्वास नलिका में प्राण प्रवाह होता है.
23.
सिम्पेथेटिक तन्त्रिका तन्तु श्वास नलिका या ब्रोन्काई (ट्रेकिया से फेफड़ों तक) को फैलाते (dilate) हैं तथा पेरासिम्पेथेटिक तन्तु उन्हें संकुचित करते हैं।
24.
श्वास नलिका के संक्रमण का सहज निदान के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के लेने में 48 घंटे का विलम्ब एंटीबायोटिक के इस्तेमाल को कम कर सकता हैं.
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5-2-4-2 की लय में (5 उच्छा्वसन और 4 अंत:श्वसन होता हैं) धीमी गति से लयबद्ध श्वसन से धड़ और श्वास नलिका में प्राण प्रवाह होता है.
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[50] श्वास नलिका के संक्रमण का सहज निदान के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के लेने में 48 घंटे का विलम्ब एंटीबायोटिक के इस्तेमाल को कम कर सकता हैं.
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इस रोग के कारण बहरापन, कान के पर्दे में छेद तथा कान, नाक, तालु, श्वास नलिका में कैंसर होने की संभावना रहती है।
28.
इस रोग के कारण बहरापन, कान के पर्दें में छेद तथा कान, नाक, तालु, श्वास नलिका में कैंसर होने की संभावना रहती है।
29.
एक्यूट ब्रोंकाइटिस आमतौर पर एक्यूट ब्रोंकाइटिस यानी श्वास नलिका की सूजन के कारण होने वाली तीव्र खाँसी का दौरा कुछ दिनों से कुछ हफ्तों तक जारी रहता है।
30.
श्वास नलिका में संक्रमण के कारण साइनुसाइटिस पोलिप्स एवं सूखापन बाहरी तत्व मुँह में बने रहना श्वास प्रश्वास में रुकावट या म्यूकस फ्लो में रुकावट असाध्य खाँसी एवं निमोनिया