कारकांश में लग्न स्थान पर अगर शनि या केतु है तो इसे सफल व्यापारी होने का संकेत समझना चाहिए. सूर्य और राहु के लग्न में होने पर व्यक्ति रसायनशास्त्री अथवा चिकित्सक हो सकता है.ज्योतिष विधान के अनुसार कारकांश से तीसरे, छठे भाव में अगर पाप ग्रह स्थित हैं या उनकी दृष्टि है तो इस स्थिति में कृषि और कृषि सम्बन्धी कारोबार में आजीविका का संकेत मानना चाहिए.कारकांश कुण्डली में चौथे स्थान पर केतु (
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प्रश्न कुण्डली के लग्न स्थान में शुभ ग्रह विराजमान हों अथवा इस स्थान को शुभ ग्रह देख रहे हों तो यह समझना चाहिए कि आप कुशल चिकित्सक की सलाह ले रहे हैं. चतुर्थ भाव शुभ ग्रह या शुभ ग्रहों की दृष्टि या युति है तो इस बात का संकेत समझना चाहिए कि रोग सामान्य उपचार से ठीक हो जाएगा.प्रश्न पूछे जाने के समय षष्टम एवं सप्तम भाव पर शुभ ग्रहों का प्रभाव हो एवं षष्ठेश और सप्तमेश निर्बल हों (
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जीवनसाथी की आर्थिक स्थिति जीवनसाथी की आर्थिक स्थिति का विचार करते समय अगर धनेश की दृष्टि सप्तम भाव पर हो या फिर सप्तमेश धन भाव को देख रहा हो तो यह इस बात का संकेत समझना चाहिए कि जीवनसाथी धनवान होगा. सप्तमेश जन्मपत्री में चतुर्थ, पंचम, नवम अथवा दशम भाव में हाने पर विवाह सुखी सम्पन्न एवं धनवान परिवार में होता है.सप्तमेश अगर द्वितीयेश, लाभेश, चतुर्थेश या कर्मेश के साथ प्रथम, चतुर्थ, सप्तम या दशम भाव में युति बनता है तो विवाह धनिक कुल में होना संभव होता है.