दालचीनी, संकोचक, स्तम्भक, कीटाणुनाशक, वातनाशक, फफून्दनाशक, जी मिचलाना और उल्टी रोकने वाली, पेट की गैस दूर करने वाली है।
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अमरूद के पत्तों में एक उड़नशील सुंगधित तेल होता है जिसमें संकोचक गुण होता है इसलिए आंतों के विकारों को दूर करने मंे इसके पत्ते उपयोगी होते हैं।
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यह लघु (छोटा), कडुवा, कषैला, गर्म (उष्ण), स्निग्ध (चिकना), संकोचक, पाचन, हृदय और कफवात को नष्ट करता है।
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यह कफ-पित्त-वात को नष्ट करने वाला, उत्तेजक, संकोचक तथा भूतबाधा को दूर करने वाला, श्वेत-कुष्ठ (सफेद कुष्ठ), पेट के कीड़े को खत्म करने वाला होता है।
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एक उत्तेजक, संकोचक, कृमिनाशक, छाती में जमे हुए वात व कफ को दूर करने वाली तथा अतिसार एवं नपुंसकता को दूर करने वाली औषधि ; (बाक्स मर्टल) ।
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टेनिन एसिड के कारण इसकी छाल सख्त ग्राही होती है, बहुत तेज और संकोचक प्रभाव करने वाली होती है अतः रक्त प्रदर में होने वाले अत्यधिक रजस्राव पर बहुत अच्छा नियन्त्रण होता है।
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टेनिन एसिड के कारण इसकी छाल सख्त ग्राही होती है, बहुत तेज और संकोचक प्रभाव करने वाली होती है अतः रक्त प्रदर में होने वाले अत्यधिक रजस्राव पर बहुत अच्छा नियन्त्रण होता है।
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नीम की छाल: नीम की छाल संकोचक, कफघ्न (कफ को मिटाने वाली), अरुचि, उल्टी, कब्ज, पेट के कीडे़ तथा यकृत (लीवर) विकारों में लाभकारी होती है।
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बाँस सारक, ठंडा, शुक्रवीज की बीमारी को ठीक करनेवाला, स्वाद को ठीक करनेवाला, मूत्राशय को शुद्ध करनेवाला, संकोचक द्रव्यों से भरपूर, कफ एवं पित्त को ठीक करनेवाला तथा घाव एवं सूजन में प्रभावी दवा है।
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सांस से सम्बंधित लक्षण-आवाज की नली के आसपास की पेशियों का लकवा मार जाना, सांस लेने में बहुत ज्यादा परेशानी होना, छाती की पेशियों में बहुत तेज संकोचक दर्द, रुक-रुककर आने वाली खांसी जो इंफ्लुएंजा के बुखार के बाद फिर से शुरू हो जाती है।