इंकलाब की शायरी यदि लोकप्रिय संगीत विद्या से होकर गुजरती है तो वह इंकलाब के नारों को भी एक उत्सव में बदल सकती है।
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विद्यालय स्तर पर खर्च कर दिया जाता था क्योंकि पंडित जी का उद्देश्य धन अर्जित करना नहीं वरन् संगीत विद्या को अन्य विद्याओं के समान समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलवाना था।
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विद्यालय स्तर पर खर्च कर दिया जाता था क्योंकि पंडित जी का उद्देश्य धन अर्जित करना नहीं वरन् संगीत विद्या को अन्य विद्याओं के समान समाज में एक प्रतिष्ठित स्थान दिलवाना था।
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इसने स्कूलों, कम्यूनिटी सेंटरों और परंपरावादी संस्थाओं की संगीत विद्या में नई ऊर्जा संचारित की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले स्थानों-रोमन एम्फीथिएटरों और तेल अवीव के मेन ऑडिटोरियम और यरूशलम के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में गायनऔर सिम्फनी कंसर्ट का आयोजन आए दिन होने लगा।
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गुरु हरिदास महाराज से सिख कर एकांत में साधू जीवन जीने वाला बैजू संगीत विद्या में ऐसा तदाकार हुआ की कई लोग संगीत सिख ने वाले उस की चरण चम्पी कर के बड़े बड़े संगीतज्ञ बन गए … बैजू बावरा का एक शिष्य था गोपाल नायक नाम का..
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उनके द्वारा विकसित संगीत विद्या को ‘ रवीन्द संगीत ' के नाम से जाना जाता है, जो बहुत ही मधुर और संगीत के दृष्टिकोण से सुगम है जिसका आंनद संगीत को न समझने वालों को भी उतना ही मिलता है जितना संगीत के जानकार को. वकिमचंद्र चटटोपाध्याय रचित गीत ‘ बंदेमातरम ' की धुन गुरूदेव ने ही बनायी थी तथा 1896 में कांग्रेस अधिवेशन में पहली बार स्वयं इसे गाया भी था.