नई तकनीकी के आने के कारण वह अपने पुराने परिवेश की यादों, पुराने राष्ट्र-राज्य के गौरवपूर्ण अतीत की स्मृतियों को नए जगत में किसी न किसी रूप में संजोए रखना चाहता है।
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उन्होंने कहा, “इस पाठ्यक्रम को चलाने का मुख्य उद्देश्य युवाओं के बीच उसे लोकप्रिय बनाना, इस ज्ञान को संजोए रखना और औषधीय पौधों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान को इस्तेमाल में लाना है।”
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इस संदर्भ में यह जरूरी है कि वे सभी देशभक्त भारतीय, जो आधुनिक भारत के धर्मनिरपेक्ष जनतांत्रिक आधार को अपने दिलों में संजोए रखना चाहते हैं, एकजुट होकर इस चुनौती का सामना करें।
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चाहे अपने लोगों की समृद्धि सुनिश्चित करना हो या सारे नागरिकों को समान दर्जा देना, चाहे अपनी मान्यताओं को देश के बाहर संजोए रखना हो या फिर विश्व को एक बेहतर और सुरक्षित जगह बनाने के लिए क़ुर्बानी देना.
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हालांकि अब यह घर बहुत ही पुराना और आउटडेटेड हो चुका है और हमारे पास यह ऑप्शन भी है कि हम इसे नए सिरे से मॉडर्न तरीके से बनाएं, लेकिन हम अपने बुजुर्गो की इस निशानी को ऐसे ही संजोए रखना चाहते हैं।
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अगर मैं अपने शब्दों का इस्तेमाल करूं तो एक बात ही मुंह से निकलती है कि “ इस माला को सदा पिरोए रखना, हिंदू-मुस्लिम रूपी इन मोतियों को संजोए रखना, न तोड़ पाए कोई इसे, ये याद रखना, प्यार भरे इस दामन को हमेशा थामे रखना।
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यहाँ से लगभग 150 मीटर दूर वसुधारा का नज़ारा ऐसा लग रहा था मानो अपने नीचे फैले विशाल हिमनद को जैसे ये प्रपात अपनी हवाई बूँदों के जल से पोषित कर रहा हो, अद्भुत नज़ारा था वो जिसे सिर्फ़ हमारी आँखे ही क़ैद कर पाई, शायद हमारे कैमरे की किस्मत मे ये नज़ारा देखना और उसे संजोए रखना नही लिखा था.
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जागरण संवाद केंद्र, अंबाला शहर लोक संपर्क विभाग जिला स्तरीय साझी प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है जिसमें पहले तीन स्थान प्राप्त करने वाली साझी कृतियों को पुरस्कृत किया जाएगा। प्रतिभागियों द्वारा तैयार की गई सांझी प्रेम नगर स्थित विभाग के कार्यालय में 9 अक्टूबर तक दोपहर एक बजे तक जमा करवाई जा सकती है। प्रतियोगिता का उद्देश्य हरियाणा की प्राचीन संस्कृति को संजोए रखना तथा लोक कलाओं को बढ़ावा देना है। साझी प्रतियोगिता में महिलाएं अथवा लड़कियां भाग ले सकती है और प्रतियोगिता में भाग ल
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संवाद सहयोगी, पद्धर: उपमंडल की ग्राम पंचायत ग्वाली का दो दिवसीय साढणू मेला का सोमवार को द्रंग ब्लॉक काग्रेस अध्यक्ष जोगिंद्र गुलेरिया ने अराध्य देव सुत्रधारी ब्रह्मा व अन्य देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करके किया। उन्होंने कहा कि मेले और त्योहार हमारी प्राचीन संस्कृति की अनमोल धरोहर है। इसे संजोए रखना आम आदमी का कर्तव्य है। इससे पहले मेला कमेटी प्रधान इद्र सिंह और पंचायत प्रधान घनश्याम ठाकुर ने मुख्यअतिथि का शॉल और टोपी पहना कर स्वागत किया। इस दौरान महिला मंडल गवाली, मुलसू और सरवाला की महिलाओं
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प्रबिंद्र सिंह नेगी, किन्नौर सीमावर्ती एवं जनजातीय जिला किन्नौर में हिंदू देवी देवताओं और बुद्ध धर्म के प्रति लोगों में अपार आस्था है। देव परिसर में ग्रामीण एकजुट होकर मनोरजन करके सदियों पुरानी परपरा को इस आधुनिक युग में भी जीवंत बनाए हुए हैं। जिला किन्नौर में फसल काटने से लेकर भंडारण तक अलग-अलग उत्सव मनाए जाते हैं। इनमें प्रसिद्ध उत्सव में फूलों का उत्सव फूल्याज मेला है। इन उत्सवों को मनाने के पीछे मान्यता लोग अपने पुराने रितीरिवाज और पुरानी परंपराओं को संजोए रखना मानते हैं। इ