लोकभाषा का अनुपम छंद और लोकसंवेदना से गहरी संपृक्ति उनकी कविताओं और गीतों को विशिष्ट किस्म के आत्मीय-प्रकाश से भर देती है.
22.
रागेय राघव ने वादों के चौखटे से बाहर रहकर सही मायने में प्रगितशील रवैया अपनाते हुए अपनी रचनाधर्मिता से समाज संपृक्ति का बोध कराया।
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रागेय राघव ने वादों के चौखटे से बाहर रहकर सही मायने में प्रगितशील रवैया अपनाते हुए अपनी रचनाधर्मिता से समाज संपृक्ति का बोध कराया।
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रागेय राघव ने वादों के चौखटे से बाहर रहकर सही मायने में प्रगितशील रवैया अपनाते हुए अपनी रचनाधर्मिता से समाज संपृक्ति का बोध कराया।
25.
कहानी, उपन्यास साहित्य की लोककल्याण परंपरा से ही नहीं जुड़ते ; उन्हें वैश्विक प्रगतिशील प्रवृत्तियों से भी संपृक्ति बनाए रखना अनिवार्य होता है।
26.
परिवेश के प्रति संचेतन दृष्टि, बदलते माहौल के प्रति संपृक्ति और समकालीन घटना-प्रसंगों व उनसे उद्भूत स्तितियों के प्रति साझेदारी सर्वेश्वर की पत्रकारिता का एक वृहद एवं उल्लेखनीय संदर्भ है।
27.
वह सामाजिक या मानवीय वस्तु उठा तो लेता है, पर संपृक्ति के लिए उन अवसरों की तलाश में रहता है जिनमें वह भी डूब जाए और उसका पाठक भी।
28.
(इकोल परातीक द हैतेस इत्युदेस इन पेरिस) से आंशिक संपृक्ति के कारण उसे सदैव इतनी स्वतंत्राता रही कि अशुद्ध रूप से वह अपने विचारों को स्वतंत्रारूपेण प्रस्तुत कर सके।
29.
परिवेश के प्रति सचेतन दृष्टि, बदलते माहौल के प्रति संपृक्ति और समकालीन घटना-प्रसंगों व उनसे उद्भूत स्तितियों के प्रति साझेदारी सर्वेश्वर की पत्रकारिता का एक वृहद एवं उल्लेखनीय संदर्भ है।
30.
यूँ तो दुनियाँ के सभी त्यौहार लोक भावनाओं, मान्यताओं और संवेदनाओं की उपज हैं, लेकिन होली के त्यौहार में जितनी गहरी लोक-संपृक्ति है शायद अन्य त्यौहारों में उतनी नहीं।