संबंधवाचक सर्वनाम के लिए ' जो ' रखा गया है तथा यदि या जब के अर्थ में अव्यय रूप ' जौ ' ।
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अध्याय 8 4. संबंधवाचक सर्वनाम परस्पर एक-दूसरी बात का संबंध बतलाने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।
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अध्याय 8 4. संबंधवाचक सर्वनाम परस्पर एक-दूसरी बात का संबंध बतलाने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है उन्हें संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।
24.
जैसे-सर्वनाम के प्रमुख पाँच भेद हैं:-(1) पुरुषवाचक, (2) निश्चयवाचक, (3) अनिश्चयवाचक, (4) संबंधवाचक, (5) प्रश्नवाचक।
25.
पिछले लेख में इंगित विकारी शब्दों के चार भेद संज्ञा (नाउन), सर्वनाम (प्रोनाउन), विशेषण (एडजेक्टिव) तथा क्रिया (वर्ब) हैं जबकि अविकारी शब्दों के चार भेद क्रिया विशेषण (एडवर्ब), समुच्चय बोधक (कंजंकशन), संबंधवाचक (प्रीपोजीशन) तथा विस्मयादिबोधक (इंटरजेकशन) हैं।
26.
उर्दू के संबंधवाचक शब्द-पर, का, में, से आदि वही हैं जो हिंदी के. दोनों का मूल शब्दभंडार भी एक है, लेकिन यहाँ बहुत दिनों तक फारसी के राजभाषा रहने से हिंदी शब्दों के फारसी या अरबी पर्यायवाची शब्द भी प्रचलित हो गए हैं.
27.
संबंधवाचक शब्द: भतार (पति), जनानी (औरत/पत्नी), मेहरारू (बीवी), मरद (आदमी/ पति), मौगी (पराई औरत), धिया (बेटी), जईधी (बड़ी बहन की बेटी), कनियां (बहू/ नई दुल्हन), पुतोह (पतोहू), गोतनी (पति के भाई की पत्नी), देओर-भौजाई (देवर एवं भाभी), भाभो (भावज), भैंसुर (पति का बड़ा भाई), लौंडा (सयाना लड़का/समलीगिक), छौंड़ा एवं छौड़ी(लड़का एवं लड़की), आदि।