परन्तु चाहे कोई अंडा संसेचित हो अथवा गैर-संसेचित, यह तब भी मुर्गी का रक्त ही है, जो ठीक उसी प्रकार निकला है जिस तरह महिलाओं के मासिक धर्म में निकलता है।
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परन्तु चाहे कोई अंडा संसेचित हो अथवा गैर-संसेचित, यह तब भी मुर्गी का रक्त ही है, जो ठीक उसी प्रकार निकला है जिस तरह महिलाओं के मासिक धर्म में निकलता है।
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जब संसेचित डिंब डिंबवाहिनी से गर्भशय में आता है तो वह वहाँ की उपकला या अंत: स्तर में, जो पिछले मासिक स्रव में नए सिरे से बन चुकी है, अपने रहने के लिए स्थान बनाता है।
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इस क्रिया में अंत: स्तर की कुछ रक्तवाहिकाएँ फटकर उनसे निकला हुआ रक्त संसेचित डिंब के चारों ओर एकत्र हो जाता है और अतं:स्तर का एक पतला स्तर डिंब के ऊपर भी छा जाता है।
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इस क्रिया में अंत: स्तर की कुछ रक्तवाहिकाएँ फटकर उनसे निकला हुआ रक्त संसेचित डिंब के चारों ओर एकत्र हो जाता है और अतं:स्तर का एक पतला स्तर डिंब के ऊपर भी छा जाता है।
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जब संसेचित डिंब डिंबवाहिनी से गर्भशय में आता है तो वह वहाँ की उपकला या अंत: स्तर में, जो पिछले मासिक स्रव में नए सिरे से बन चुकी है, अपने रहने के लिए स्थान बनाता है।
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संसेचित अंडे के बाह्य स्तर से एक प्रकार का रासायनिक स्राव निकलता है, जो अन्य शुक्राणु को डिंब की ओर आकर्षित न कर विकर्षित करता है अथवा डिंब के बाहर चारों ओर एक प्रकार की जेली जैसी झिल्ली (
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(१) खानपान से, अर्थात् संसेचित अंडों से युक्त भोजन से, जैसा केंचुआ, नेमाटोडा आदि के संक्रमण में होता है, या लार्वा संवाही साइक्लोप्स (cyclops) से युक्त जल को पीने से, या ट्रिकिनेल्ला (Trichinella) के मिस्टयुक्त मांस के भक्षण से, (२) त्वचाभेदन द्वारा, जैसे अंकुश कृमि प्रविष्ट होते हैं, (३) कीटवंश से, जैसे फाइलेरिया के कृमि प्रवेश करते हैं एवं (४) श्वास द्वारा धूल के साथ उड़ते अंडों के शरीर में प्रवेश करने से, जैसा केंचुआ या सूत्रकृमि के संक्रमण में होता है।