| 21. | साधन परायण नहीं, पर सत्त्व परायण शिक्षण
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| 22. | िफर उसी के द्वारा सत्त्व, रज और तमरूप
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| 23. | लकड़ी का मेज माने हमारे सत्त्व गुण।
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| 24. | चित्त माझें ॥ १५७ ॥ ऐसें सत्त्व सुखज्ञानीं ।
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| 25. | इसके भी तीन भेद हुए-सत्त्व, रज, तम।
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| 26. | रजिस्ट्री किया हुआ, सर्व सत्त्व संरक्षित
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| 27. | जिसमें सत्त्व दबा हुआ है और रजोगुण की प्रधानता है।
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| 28. | इससे सत्त्व की हानि होती है।
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| 29. | फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
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| 30. | सत्त्व की पवित्रता ही ईश्वर-प्रणिधान है।
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