मेरी पहली बीवी ने जब देखा कि उसके सब मनसूबों पर पानी फिरनेवाला है, तो उसने मुझे हजार तरह से समझाना-बुझाना शुरू किया कि ऐसे मुबारक मौके पर ऐसी नापाक बात क्यों कर रहे हो।
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चाचरोच (काक्रोच) '. लीची की गुठली को वह काक्रोच समझ रही थी, समझाना-बुझाना सब बे-कार. उसके मन में जम कर बैठ गया था कि लीची के अंदर काक्रोच घुसा है-छूना तो दूर पास तक नहीं आता थी वह.
23.
एक दिन मेरे उसी नौकर ने जिसका नाम हरदीन था मुझसे फिर एकांत में कहा कि ' अब आप राजा साहब को समझाना-बुझाना छोड़ दीजिए, मुझे निश्चय हो गया कि उनकी बदकिस्मती के दिन आ गये हैं और वे आपकी बातों पर कुछ भी ध्यान न देंगे।