ये अधिकार हैं: समता का अधिकार (अनु. 14-18), स्वातंत्र-अधिकार (अनु. 19-22), शोषण के खि़लाफ़ अधिकार (अनु.
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क्या अछूत हरिजन घोषित करने से अछूत नहीं रहेगा? क्या मैला नहीं उठायेगा? क्या झाड़ू नहीं लगाएगा? क्या अन्य वर्ण वाले उसे गले लगा लेंगे? क्या हिन्दू समाज उसे सवर्ण मान लेगा? क्या उसे सामाजिक समता का अधिकार मिल जायेगा? हरिजन तो सभी हैं, लेकिन गाँधी ने हरिजन को भी भंगी बना डाला।
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क्या अछूत हरिजन घोषित करने से अछूत नहीं रहेगा? क्या मैला नहीं उठायेगा? क्या झाडू़ नहीं लगाएगा? क्या अन्य वर्ण वाले उसे गले लगा लेंगे? क्या हिन्दू समाज उसे सवर्ण मान लेगा? क्या उसे सामाजिक समता का अधिकार मिल जायेगा? हरिजन तो सभी हैं, लेकिन गाँधी ने हरिजन को भी भंगी बना डाला।
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परिस्थितियों में विशेष परिवर्तन तब आया जब 1957 में अंग्रेजों के उपनिवेश से इस देश को मुक्ति मिल गई तथा अनेक नवस्वतन्त्र देशों की भाँति इस देश को भी एक संविधान मिला और उस संविधान के अनुच्छेद 8 और 11 के अन्तर्गत मलेशिया के निवासियों को क्रमश: समता का अधिकार और धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार मिला।
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परिस्थितियों में विशेष परिवर्तन तब आया जब 1957 में अंग्रेजों के उपनिवेश से इस देश को मुक्ति मिल गई तथा अनेक नवस्वतन्त्र देशों की भाँति इस देश को भी एक संविधान मिला और उस संविधान के अनुच्छेद 8 और 11 के अन्तर्गत मलेशिया के निवासियों को क्रमश: समता का अधिकार और धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार मिला।
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वे यह भी कहने से नहीं चुकते कि संविधान द्वारा प्रदत्त समता का अधिकार का उल्लंघन है लेकिन सच्चाई है कि समाज के हाशिये पर रख़ा गया पिछड़ा समाज जिसे पढने की आजादी मिली भी तो अंग्रेजों के कारण जब सितंबर 1857 में तत्कालीन वायसराय ने जाति आधार पर शिक्षण संस्थानों में सदियों से लगे निषेध को समाप्त किया।
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सुमित जी बेहतरीन व्यंग के लिए बधाई ………… चलिए घटी महंगाई की खबर ने आप के हाथों से दो किलो रसगुल्ले तो बंटवा दिए ……….. और आपकी दिमागखाऊ प्रतिभा वाकई विलक्षण है …………. और शायद आपको पता न हो ये बहुत बड़ी समाज सेवे भी है, क्योंकि आप मेरे जैसे खाली खोपड़ी वालों को भी दिमाग्वालों का दिमाग खाकर सामजिक समता का अधिकार दिलाएंगे, विसमता ही ख़तम हो जायेगी …………………..
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समता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18) इसके अन्तर्गत निम्नलिखित अधिकार सम्मिलित होते है-• विधि के समक्ष समता या विधियों के समान संरक्षण का अधिकार (अनुच्छेद 14) • धर्म, मूल, वंश, जाति, लिंग, जन्म का स्थान, के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15) • लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता (अनुच्छेद 16) • अस्पृश्यता का अंत (अनुच्छेद 17) • उपाधियों का अंत (अनुच्छेद 18) 2.
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उन्होंने गाँधी जी के इस कदम पर सवाल भी उठाया कि-‘‘ सिर्फ अछूत या शूद्र या अवर्ण ही हरिजन हुए, अन्य वर्णों के लोग हरिजन क्यों नहीं हुए? क्या अछूत हरिजन घोषित करने से अछूत नहीं रहेगा? क्या मैला नहीं उठायेगा? क्या झाडू़ नहीं लगाएगा? क्या अन्य वर्ण वाले उसे गले लगा लेंगे? क्या हिन्दू समाज उसे सवर्ण मान लेगा? क्या उसे सामाजिक समता का अधिकार मिल जायेगा? हरिजन तो सभी हैं, लेकिन गाँधी ने हरिजन को भी भंगी बना डाला।
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उन्होंने गाँधी जी के इस कदम पर सवाल भी उठाया कि-‘‘ सिर्फ अछूत या शूद्र या अवर्ण ही हरिजन हुए, अन्य वर्णोंं के लोग हरिजन क्यों नहीं हुए? क्या अछूत हरिजन घोषित करने से अछूत नहीं रहेगा? क्या मैला नहीं उठायेगा? क्या झाडू़ नहीं लगाएगा? क्या अन्य वर्ण वाले उसे गले लगा लेंगे? क्या हिन्दू समाज उसे सवर्ण मान लेगा? क्या उसे सामाजिक समता का अधिकार मिल जायेगा? हरिजन तो सभी हैं, लेकिन गाँधी ने हरिजन को भी भंगी बना डाला।