कि गुप्त निश्चय है जो एक प्रभावशाली रचनात्मक शक्ति और समबुद्धि ज्ञान से भरा के साथ किसी भी महान धैर्य,
22.
हम जो कुछ कहतें हैं वह सुना सुनाया होता है बच्चे सहज बुद्ध समबुद्धि बोध से संचालित होते हैं.
23.
समबुद्धि का भाव भगवान् के श्री अरविंद को दिए गए इस उपदेश, उनकी इस अनुभूति का हम भली भाँति अध्ययन करें।
24.
तू समबुद्धि में ही रक्षा का उपाय ढूँढ अर्थात् बुद्धियोग का ही आश्रय ग्रहण कर क्योंकि फल के हेतु बनने वाले अत्यन्त दीन हैं॥49॥
25.
तू समबुद्धि में ही रक्षा का उपाय ढूँढ अर्थात् बुद्धियोग का ही आश्रय ग्रहण कर क्योंकि फल के हेतु बनने वाले अत्यन्त दीन हैं ॥49॥
26.
इस कारण हे अर्जुन! तू सब काल में समबुद्धि रूप से योग से युक्त हो अर्थात निरंतर मेरी प्राप्ति के लिए साधन करने वाला हो॥27॥
27.
इस कारण हे अर्जुन! तू सब काल में समबुद्धि रूप से योग से युक्त हो अर्थात निरंतर मेरी प्राप्ति के लिए साधन करने वाला हो॥27॥ वेदेषु
28.
क्योंकि समबुद्धि से युक्त ज्ञानीजन कर्मों से उत्पन्न होने वाले फल को त्यागकर जन्मरूप बंधन से मुक्त हो निर्विकार परम पद को प्राप्त हो जाते हैं ॥51॥
29.
भावार्थ: क्योंकि समबुद्धि से युक्त ज्ञानीजन कर्मों से उत्पन्न होने वाले फल को त्यागकर जन्मरूप बंधन से मुक्त हो निर्विकार परम पद को प्राप्त हो जाते हैं॥51॥
30.
इस कारण हे अर्जुन! तू सब काल में समबुद्धि रूप से योग से युक्त हो अर्थात निरंतर मेरी प्राप्ति के लिए साधन करने वाला हो॥ 27 ॥