इसके साथ ही किसान और खेतिहर मजदूर दोनों के ही मध्य अपनी पवित्र मातृभूमि का, धर्म-संस्कृति-समाज-परम्परा का बोध सम्यक् रूप से प्रस्थापित करने का प्रयास करना होगा क्योंकि उससे उनके मध्य समरसतापूर्ण जीवन का निर्माण होने के साथ संघ शाखा के रूप में दैनन्दिन श्रेष्ठ संस्कारों की योजना को भी व्यावहारिक रूप देकर सही अर्थों में ग्राम-विकास और ग्रामोत्थान के कार्य को आगे बढ़ाया जा सकेगा।
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इसके साथ ही किसान और खेतिहर मजदूर दोनों के ही मध्य अपनी पवित्र मातृभूमि का, धर्म-संस्कृति-समाज-परम्परा का बोध सम्यक् रूप से प्रस्थापित करने का प्रयास करना होगा क्योंकि उससे उनके मध्य समरसतापूर्ण जीवन का निर्माण होने के साथ संघ शाखा के रूप में दैनन्दिन श्रेष्ठ संस्कारों की योजना को भी व्यावहारिक रूप देकर सही अर्थों में ग्राम-विकास और ग्रामोत्थान के कार्य को आगे बढ़ाया जा सकेगा।