अपनी स्वयं की अक्षमता के कारण हम सभी स्वरों के बीच में बहती हुई समस्वरता का अनुभव नहीं कर पाते।
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क्योंकि हम ठीक से सुन नहीं पाते, इसलिए हम स्वरों के बीच में बहती हुई जो समस्वरता है, उसका अनुभव नहीं कर पाते हैं।
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इन ग्रंथों के पीछे का अंतर्निहित सिद्धांत है कि स्वर संगति विशेष पूर्व-स्थापित संरचनात्मक सिद्धांतों को समरूप करते हुए समस्वरता को प्रतिबंधित करती है.
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तब तब कहीं अन्यायास ही मैं अपने करीब, बहुत करीब पहुँचने लगता हूँ!! “नववर्ष की शुभ कामनाएं ” समक्रमिकता से समस्वरता...
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इन ग्रंथों के पीछे का अंतर्निहित सिद्धांत है कि स्वर संगति विशेष पूर्व-स्थापित संरचनात्मक सिद्धांतों को समरूप करते हुए समस्वरता को प्रतिबंधित करती है.
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जो पूर्ण समस्वरता लिए रहते हैं प्रकृति और पुरुष के साथ सर्व आत्माओं के साथ सब कुनबों के साथ प्रेम भाव लिए रहते हैं.
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क्योंकि हम ठीक से सुन नहीं पाते, इसलिए हम स्वरों के बीच में बहती हुई जो समस्वरता है, उसका अनुभव नहीं कर पाते हैं।
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“चुंग” का सिद्धांत अर्थात् अपने व्यक्तित्व की उच्चतम मांगों को संतुष्ट करते रहो और “शू” का सिद्धांत, अर्थात् विश्व से समस्वरता निर्माण करते हुए जीवन व्यतीत करो।
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एक प्रकार से प्राणायाम के अभ्यास द्वज्ञरा व्यक्ति के श्वास (पिण्ड प्राण) को जागतिक श्वास (ब्रह्माण्ड प्राण) से समस्वरता में लाने का प्रयास किया जाता है।
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अगर व्यक्ति स्वयं के साथ समस्वरता पा लेता है और उदना के नाम से पहचाने जाने वाले प्राण को सिद्ध कर लेता है तो वह हवा में ऊपर उठ सकता है।