| 21. | अंतर्राष्ट्रीय स्थलों पर सर्वधर्म समान समझना चाहिये और सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करना चाहिये।
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| 22. | दान, प्रिय वचन, अर्थचर्या और समानात्मकता, अर्थात दूसरों को अपने समान समझना, ये लोक-संग्रह के चार साधन हैं।
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| 23. | नीति विशारद चाणक्य ऐसे व्यक्तियों की तरफ संकेत करते हुए कहते हैं कि दूसरे की स्त्री को माता के समान समझना चाहिये।
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| 24. | सभी प्राणियों में ऐक ही सर्जन कर्ता की छवि निहारना तथा सभी प्रणियों को समान समझना ऐक वैज्ञिानिक तथ्य है अन्धविशवास नहीं।
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| 25. | नीति विशारद चाणक्य ऐसे व्यक्तियों की तरफ संकेत करते हुए कहते हैं कि दूसरे की स्त्री को माता के समान समझना चाहिये।
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| 26. | नीति विशारद चाणक्य ऐसे व्यक्तियों की तरफ संकेत करते हुए कहते हैं कि दूसरे की स्त्री को माता के समान समझना चाहिये।
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| 27. | कैसे बनाए मधुर सम्बन्ध नई नवेली बहू को अपनी ननद को बहन के समान समझना चाहिए और उसी प्रकार व्यवहार करना चाहिए।
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| 28. | कैसे बनाएं मधुर सम्बन्ध देवरानी-जेठानी को आपस में प्रेम बनाए रखना चाहिए, जेठानी को सदैव देवरानी को छोटी बहन के समान समझना चाहिए।
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| 29. | रामायण में राम ने कहा है हमें मित्रों के छोटे से दुख को पहाड़ के समान समझना चाहिए और हमारे स्वयं के दुख को धूल के समान।
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| 30. | यहा पर इस कहानी का अन्त नही है पर इस से हमे व्यवसायिक और सामाजिक शिक्षा मिलती है कि हमे अपने सभी साथियो को समान समझना चाहिए।
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