2. सिर पर मौत खेलना-(मृत्यु समीप होना)-विभीषण ने रावण को संबोधित करते हुए कहा, ‘ भैया! मुझे क्या डरा रहे हो? तुम्हारे सिर पर तो मौत खेल रही है ‘ ।
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(१) किसी वस्तु का अति दूर होना, जेसे आकाश में अति दूर उडाता उपग्रह या रोकेट | एन तो जल अद्रश्य (२) अति समीप होना, यथा, आँखों में काजल अपने आपको दिखाई नहीं देता |
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स्पर्श की आर्द्रता के लिये जरूरी तो नही ना समीप होना ……… देखो सिहरन की पगडंडी कैसे मेरे रोयों से खेल रही है और तुम्हारा नाम लिख रही है ……… अमिट छाप मेरी असहजता मे तुम्हारे होकर ना होने की ……… यूं कभी करवट नही बदली मैने ……… आज भी खामोशी की दस्तक सुन रहा हूँ तुम्हारी धडकनों के सिरहाने पर बैठी मेरी अधूरी हसरत की ……… क्या तुमने उसे सहलाया है आज?