” शुद्ध सर्वहारा वर्गीय ” विचारों तथा कार्यक्रमों से लोगों ने यह निष् कर्ष निकाला: हम सामाजिक जनवादियों को केवल आर्थिक सवालों से, मज़दूरों के वास् तविक हेतु से, हर प्रकार की राजनीतिक तिकड़मों की आलोचना करने की स् वतन् त्रता से, सामाजिक जनवादी काम को सचमुच अधिक गहरा बनाने से सरोकार रखना चाहिए।
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हिंदू संप्रदायवादियों में इस बात से भी क्षोभ बढ़ा कि गांधी जी ने मैकडोनल्ड निर्णय की अन्य बातों से कोई सरोकार रखना अस्वीकार कर दिया था, जिसके अनुसार पंजाब में मुसलमानों को 49 प्रतिशत और बंगाल में 48.6 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया गया था (अर्थात यूरोपियन सदस्यों के साथ मिलकर इन प्रांतों में उनका बहुमत हो जाता था) ।
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फाईन-आर्ट में आप दूसरों की तरफ देखे बिना अपने अन्दर की सृजनात्मकता को खिलने देते हैं | व्यवसाय में लोगो और बाज़ार के साथ सरोकार रखना होता है, अतः आपको मालूम होना चाहिए कि वे क्या कर रहे हैं ; अपना सामान कैसे और किस भाव में बेच रहे हैं ; और इसी तरह के अन्य विवरण!
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अब जब आपने यही कह दिया अशोक भाई तो मेरा कुछ भी कहना मात्र अरण्य-रोदन से अधिक कुछ नहीं होगा! मैं भी बहुत पहले बॉलीवुड से ख़ास सरोकार रखना त्याग चुका हूँ किन्तु ७ ० और ८ ० के दशक का हिंदी सिनेमा (दोनों धाराओं का) मेरे लिए भूल पाना कठिन है और आज जब उसे इग्नोर करते हुए कोई भारतीय, परफोर्मिंग आर्ट्स की चर्चा करता है तो ज़ाहिर है मुझे शिकायत होती है.
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चुनांचे सअद इबने अबी विकास तो हज़रत उसमान के कत्ल के बाद एक सहरा (जंगल) की तरफ़ मुंतकिल (स्थानानतरित) हो गए और वहीं ज़िन्दगी गुज़ार दी और हज़रत की बैअत न करना थी न की और अब्दुल्लाह इबने उमर ने अगरचे बैअत कर ली थी मगर जंगों में हज़रत का साथ देने से इंकार कर दिया था, और उज्र यह पेश किया था कि मैं इबादत के लिए गोशा नशीनी इख़तियार (एकान्त वास धारण) कर चुका हूं, अब हर्ब व पैकार से कोई सरोकार रखना नहीं चाहता।