छात्रों को उनकी पढ़ाई की शुरू से ही सही समर्थन और अक्सर के बाद भी इस पाठ्यक्रम को समाप्त हो गया है जिससे कई प्रोफेसरों संरक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका पर ले दिया जाता है.
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विदर्भ जन आंदोलन समिति (वीजेएएस) के संस्थापक अध्यक्ष किशोर तिवारी का कहना है कि किसानों का भला किसी आर्थिक पैकेज के बजाय फसलों के लिए सही समर्थन मूल्य से ही हो सकता है।
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बाहर से ही सही समर्थन तो है ही केंद्र सरकार को। पहले भी यू. पी.ए.-1 के समय वाम दलों के समर्थन वापसी के समय यही समाजवादी पार्टी सजीवनी बूटी बन कर सामने आई थी और सरकार बच गई थी।
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अगर अपने यहां सानुपातिक प्रतिनिधित्व की चुनाव पद्धति लागू हो गई तो सदन में पार्टियों के सही समर्थन का प्रतिनिधित्व हो सकेगा और पार्टियां उम्मीदवारों को जिताने के लिए जोड़तोड़ करने के बजाय जन-समर्थन बढ़ाने पर जोर देंगी।
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अगर अपने यहां सानुपातिक प्रतिनिधित्व की चुनाव पद्धति लागू हो गई तो सदन में पार्टियों के सही समर्थन का प्रतिनिधित्व हो सकेगा और पार्टियां उम्मीदवारों को जिताने के लिए जोड़तोड़ करने के बजाय जन-समर्थन बढ़ाने पर जोर देंगी।
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परन्तु वर्तमान में दुग्ध उत्पादन विकास से परे है आधुनिकयुग में दुग्ध या दुग्ध उत्पाद आम आदमी के पास से दूर जा रहा है एवं सही समर्थन मूल्य नहीं मिल पा रहा है जिसका भरपूर फायदा देशी विदेशी कंपनियों ने उठाया उन्होने पाउडर के रूप में हमें दूध बेचना आरम्भ कर दिया और हम पाउडर वाला दूध पीने लगे।
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में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के बयान से सहमत नही हूँ, मुझे अपने देश के राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से ये उम्मीद नही थी और रही बात आंदोलन की, वह तो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ है, हमारे देश को सही समर्थन मिल जाएअपने राष्ट्रपति का तो सड़े हुए फल खुद बा खुद गिर जाने चाहिए, मेरा मतलब भ्रष्टाचार करने वालों के लिये सबसे कठिन कानून बने.
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वीज़ा के साथ कई गैर ब्रिटेन नागरिक को लगता है कि वे घरों को लक्षित जल्दी से खरीद करना चाहते हैं और मदद हालांकि उधारदाताओं बाहर विशेषज्ञ के बिना अच्छा प्रारंभिक वाइब्स दे सकते हैं में एक वीजा पर आवेदकों के लिए वास्तविकता है कि विदेश राष्ट्रीय बंधक सही समर्थन के बिना सफल होने की उम्मीद नहीं कर रहे हैं और अपने कोने से लड़ने के लिए किसी की विशेषज्ञता.
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और जो जमीन सरकारों के पास है उन पर हुई फसल पर सरकार सही समर्थन मूल्य नहीं दे रही, मंडियो का नवीनीकरण नहीं हो रहा, बहुराष्ट्रीय कंपनिया अशिक्षित किसान को दोनों हाथो से लूट रही है, तो क्या सरकार सोचती है की इतनी बड़ी अराजकता को १ ०-२ ० अखबार घराने, टीवी चैनेल खरीद करके स्थिति संभाल लेगी, तो जान ले सरकार भ्रम में है.