| 21. | ) “ साँच को नहिं आंच ”
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| 22. | साँच कहौ जग मारन धावै, झूठा है संसार
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| 23. | साँच कहौं तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना।।
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| 24. | लालच खातर साँच न बोले, मर्म उन्ह नहीं पाया।
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| 25. | साँच की आंच से वे पिघलते रहे
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| 26. | कोस-कोस प ' बदल भासा इहो साँच बा..
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| 27. | कहीं साँच की आँच से, बहता भंगुर काँच ।
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| 28. | साँच को ऑंच कहाँ? सब भगवत् कृपा ।
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| 29. | ब्याव सुदौ सोअेब छै, सोलह आना साँच
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| 30. | जाके जिव्या बन्धन नहीं, ह्र्दय में नहीं साँच ।
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