आ गया चुनाव का मौसम सब दे रहे है अपनी राय, मै भी कुछ कहना चाहता हूँ लेकिन क्या कहूं सबने तो वही बाते घुमा फिरा के की है जैसे-हमारा नेता जनता के बीच का होना चाहिए, वो जनता का रखवाला होना चाहिए, हमारे सुख-दुःख का साथी होना चाहिए आदि-आदि इन सब विचारों से अलग मेरा मन “ सलीम खान फरीद ” की एक ग़ज़ल कहने का हो रहा है-