इस निर्णय पर पहुँचकर आपने शास्त्रों में वर्णित, भगवत्-प्राप्ति के साधन रूप से प्रतिष्टित, विहित, विधि-प्रधान भक्तिमार्ग से भिन्न विशुद्ध प्रेमप्रधान स्वतंत्र भक्तिमार्ग का उपदेश दिया।
22.
यज्ञ के साधन रूप पूजन योग्य वे उलूखल और मूसल दोनो, अन्न(चने) खाते हुये इन्द्रदेव के दोनो अश्वो के समान उच्च स्वर से शब्द करते हैं॥७॥
23.
हम मनुष्यो की भांति आपको यज्ञ के साधन रूप, होता रूप, ऋत्विज रूप, प्रकृष्ट ज्ञानी रूप, चिर पुरातन और अविनाशी रूप मे स्थापित करतें है॥११॥ ५३०.
24.
साधन रूप जीवन ही मानवता है, जो सब भाई-बहिनों में बीज रूप से विद्यमान है और जिसे प्राप्त विवेक के प्रकाश में विकसित करना है ।
25.
क्योंकि ये दोनों लोक में परम पुरुषार्थ के साधन रूप में प्रसिद्ध हैं, शिष्ट महापुरुषों द्वारा गृहीत हैं तथा “तत्कारणं सांख्य योगाभिषन्नं ज्ञात्वा देवं मुच्यते सर्वपाशै: या (श्वेता.
26.
देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने दुर्जनों के लिए भी प्रभु कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है।
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देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने दुर्जनों के लिए भी प्रभु कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है।
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देव-दानवों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने दुर्जनों के लिए भी प्रभु कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया है।
29.
इस प्रकार की भिन्नता रहेगी ही और जब इस प्रकार की भिन्नता रहेगी, तो ' आपका ' जो अस्तित्व रहेगा, वह साधन रूप नहीं हो पाएगा ।
30.
इस निर्णय पर पहुँचकर आपने शास्त्रों में वर्णित, भगवत्-प्राप्ति के साधन रूप से प्रतिष्टित, विहित, विधि-प्रधान भक्तिमार्ग से भिन्न विशुद्ध प्रेमप्रधान स्वतंत्र भक्तिमार्ग का उपदेश दिया।