“ सफलता ” पर श्रीमान की कलम की कालिख एक बार फिर इस नाचीज़ तक पहुंची. धन्यवाद! शुक्रिया!! सफलता अगर गिने-चुने लोगों की बपौती नहीं होगी तो उसे सफलता कहने में कम से कम मुझे शर्म आएगी. “ सफलता ” एक सापेक्ष शब्द है.
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दिल और दिमाग से, आदमी दोगला होता कई बार, दिल की सुने या फिर दिमाग की, यकीनन दिमाग ही हावी हो जाता है और वहीँ पर सारी सृष्टि अचंभित होने की बजाय ढर्रे पर चलने वाली मशीन लगने लगती है आस्तिकता, कम्युनल होना, आशा वादी होनाया निराशा वादी होना ये सब सापेक्ष शब्द हैं सबकी अलग अलग कसौटियां होती है, सही और गलत को नापने की.