पहली आपत्तिा तो यह है कि मनुष्य अगर भविष्य में पहुंच गया तो वह अपनी अगली कई पीढ़ियों से एड़वांस में मिल लेगा और उससे सामाजिक रचना और व्यक्ति का जीवन भी प्रभावित होगा।
22.
यह अपने उन अधिकारों को पाने की लड़ाई है जो पितृसत्तात्मक समाज में छीन लिये गये थे. यह एक नयी सामाजिक रचना बनाने की पहल है जहाँ प्रेम,समर्पण,कोमलता तो है ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता भी है.
23.
यह अपने उन अधिकारों को पाने की लड़ाई है जो पितृसत्तात्मक समाज में छीन लिये गये थे. यह एक नयी सामाजिक रचना बनाने की पहल है जहाँ प्रेम,समर्पण,कोमलता तो है ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता भी है.
24.
क्या सिर्फ इसलिए कि वे दो विभिन्न आस्थाओं के हैं? ' मेरे लिए इसका कोई अर्थ नहीं था, खासतौर पर जब मैंने सिंध की सामाजिक रचना एवं सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य को देखा, जिसमें हिंदू को मुस्लिम से तथा मुस्लिम को हिंदू से अलग नहीं किया जा सकता था।
25.
इससे अगले मंत्र इस शरीर के अन्य भागों जैसे मन, आंखें इत्यादि का वर्णन करते हैं | पुरुष सूक्त में मानव समाज की उत्पत्ति और संतुलित समाज के लिए आवश्यक मूल तत्वों का वर्णन है | यह अत्यंत खेदजनक है कि सामाजिक रचना के इतने अप्रतिम अलंकारिक वर्णन का गलत अर्थ लगाकर वैदिक परिपाटी से सर्वथा विरुद्ध विकृत स्वरुप में प्रस्तुत किया गया है |