बौखलाए धर्मध्वजा धारी त्रिपुण्डी पंडितो नें ऋग्वेद के पुरूष सूक्त के चित परिचित मंत्र का सामूहिक स्वर में उल्ले ख किया-ब्राह्मणोsस्य् मुखमासीद्वाहू राजन्य: कृत: ।
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जब भी मेरा नाम आता और सामूहिक स्वर में गालियां उच्चरित होते हुए लाउडस्पीकर से प्रसारित मेरे कानों तक पहुंचती तो डरता देख बड़का बाबूजी कहते थे, खा न।
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जब भी मेरा नाम आता और सामूहिक स्वर में गालियां उच्चरित होते हुए लाउडस्पीकर से प्रसारित मेरे कानों तक पहुंचती तो डरता देख बड़का बाबूजी कहते थे, खा न।
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संघर्ष को सामूहिक स्वर देना ही तो फिल्मों का काम है, फिल्में मनोरंजन का साधन नहीं हैं, यही तो समझाने की कोशिश करता हूं, नए लड़कों को.
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हमारे टोलीनायक अग्रज श्री राम महेश मिश्र, भाई श्री राधेश्याम गिरि, श्री रामनाथ यादव और हम गाँव के उत्तरी छोर पर खड़े होकर सामूहिक स्वर में विविध प्रार्थनाएँ कर रहे थे।
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कहवी (कहावत) नहीं सुने हैं-देव नै मारे डांग से देत कुपंथ चढ़ाये... हं । हं। हं। एक साथ कई लोगों के सामूहिक स्वर-ई गप ते सहिये है...
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प्रार्थना के समय उनके हारमोनियम के सुरों के साथ जब-“ वह शक्ति हमें दो दयानिधे, कर्तव्य मार्ग पर डट जाएं... ” के सामूहिक स्वर उभरते तो पूरा वातावरण ईश्वरमय हो उठता.
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इस भवन से कुछ दूर बच्चे कहीं क्रिकेट खेलते तो विकेट गिरने पर, चौका-छक्का लगने पर या फिर जीत वाली टीम की मिठाई खाते समय उनके सामूहिक स्वर का एकाध कण यहाँ तक आ जाता था.
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सभी की थालियों में खाना परोसा जा चुका था, उन सब बच्चों ने आंखें बंद की, हाथ जोड़े और भोजन शुरू करने से पूर्व की जाने वाली प्रार्थना ऊं सह नाव वतु, सहनौ भुनक्तु, सहवीर्यम करवाव है, तेजस्विनी नावधीतमस्तु, मां विद्विषावहे के सामूहिक स्वर से आश्रम गूंज उठा।
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होली की रात, होली जलने पर गांव के होलवार में होले डांड तक यानी होलिका की सीमा तक, अश्लील फाग भी गाया जाता है यह अश्लील गीत होलिका के प्रति विरोध का प्रतीक है, होलिका को गाली देने के लिए सामूहिक स्वर में नारे लगाए जाते हैं इसीलिए यहां किसी को गंदी गंदी गाली देने पर ‘ होले पढत हस ' कहा जाता है ।