ब्रिटिश राज ने सामूहिक स्वामित्व के अधिकार को अवैध करार दिया और सिर्फ उस जमीन को लोगों के पास रहने दिया जहां हल से जुताई होती थी.
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गैर आदिवासी व्यवस्था में व्यक्तिगत संपत्ति को मर्यादित स्थान सभ्यता के प्रारंभ से रहा है, आदिवासी समाज में उत्पादन के संसाधनों पर सामूहिक स्वामित्व रहा है.
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वे तीन तत्व हैं-÷सम्पत्ति पर निजी नहीं सामूहिक स्वामित्व, समाजवादी शिक्षा अभियान और नयी पीढ़ियों के अंदर खुली और लोकतांत्रिक जीवन शैली के लिए व्यापक उत्साह और आकांक्षा।'
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आलेख. जल जैसे प्राकृतिक संसाधन, जो पूरे समाज के उपयोग के लिए उपलब्ध हैं तथा जिन पर समाज का सामूहिक स्वामित्व है, के प्रति सरकारों के नजरिए में परिवर्तन आ गया है।
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जल जैसे प्राकृतिक संसाधन, जो पूरे समाज के उपयोग के लिए उपलब्ध हैं तथा जिन पर समाज का सामूहिक स्वामित्व है, के प्रति सरकारों के नजरिए में परिवर्तन आ गया है।
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गैर आदिवासी समाज के संसर्ग में आने के बाद सामूहिक स्वामित्व की परंपरा कमजोर पडी है, उनकी खुटखुट्टीदारी व्यवस्था लगभग समाप्तप्राय है, लेकिन सामूहिकता आज भी आदिवासी समाज का मूलाधार है.
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के लिए अपना हाथ डाल बनाने के लिए कुछ लाने के.... हम आप सार्वजनिक विश्वविद्यालय, संस्कृति संस्थान, राज्य बार, पारिस्थितिक गलियारों, जैसे संभावित आकर्षक स्थानों की सामूहिक स्वामित्व पसंद नहीं है पता कानो...
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इसके अलावा आदिवासियों में प्रचलित सामूहिक स्वामित्व की अवधारणा को मान्यता न देकर ब्रिटिश कानून व्यवस्था में निजी स्वामित्व को ही मान्यता दी गयी थी जिससे आदिवासी समाज में तनाव की स्थिति पैदा होते देर न लगी।
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इसके अलावा आदिवासियों में प्रचलित सामूहिक स्वामित्व की अवधारणा को मान्यता न देकर ब्रिटिश कानून व्यवस्था में निजी स्वामित्व को ही मान्यता दी गयी थी जिससे आदिवासी समाज में तनाव की स्थिति पैदा होते देर न लगी।
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यह तो तभी सम्भव है जब निजी सम्पत्ति के नींव पर खड़ी पूँजीवादी सामाजिक व्यवस्था की जगह मज़दूर वर्ग आपसी सहकार, भाईचारे और संसाधनों के सामूहिक स्वामित्व के आधार पर एक नई व्यवस्था का निर्माण करे।