कोई जरूरी नहीं है कि आप चुनाव पर बंदिश लगा दें, अन्य राजनीतिक दलों को काम करने से रोक दें (जैसा माओवादी करते हैं) और साम्राज्यवाद-विरोध के नाम पर अपने विरोधियों का सफाया कर दें।
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आज फासीवाद पर विजय की 60 वीं सालगिरह के मौके पर हमें यह शपथ लेनी चाहिये कि हम अपने देश के स्वतंत्रता आंदोलन की साम्राज्यवाद-विरोध की परंपरा पर अटल रहते हुए हर प्रकार के फासीवादी रूझानों का पूरी शक्ति के साथ प्रतिरोध करेंगे।
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जिस तरह के बदले की कार्रवाई को अमेरिका न्याय की जीत बता रहा है, यही तर्क ओसामा द्वारा किए गए बदले की कार्रवाइयों पर क्यों नहीं लागू हो सकता, आखिर उसे भी ऊर्जा तो अमेरिका द्वारा मुस्लिम देशों में मचाई जा रही तबाही के कारण ही मिल रही थी? बेशक ओसामा साम्राज्यवाद-विरोध की राजनीति करने वाला कोई राजनेता नहीं था, वह एक जुनूनी और कट्टर मुसलमान था, जेहादी था, लेकिन ओसामा के प्रति जन-समर्थन का आधार क्या सिर्फ इस्लामिक कट्टरपंथ था, क्या महज सांप्रदायिक कट्टरता की वजह से ही लोग उसका समर्थन करते थे।