| 21. | इससे भगवान शंकर की प्रसन्नता और सायुज्य की प्राप्ति होती है।
|
| 22. | मुक्तिके ४ प्रकार हैं-सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य व सायुज्य ।
|
| 23. | सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य एव सायुज्य मुक्ति की प्राप्ति भी होती है।
|
| 24. | इसकी यथाविधि पूजा करने से शिव सायुज्य का लाभ मिलता है।
|
| 25. | (6) लीनता या सायुज्य (ब्रह्म में लीन होकर ब्रह्म हो जाना)।
|
| 26. | इसमें अंडे और शुक्र के सायुज्य का होना आवश्यक नहीं होता।
|
| 27. | (२) सायुज्य-यह भगवत्सेवा की फलात्मिक अनुभूति है।
|
| 28. | (6) लीनता या सायुज्य (ब्रह्म में लीन होकर ब्रह्म हो जाना)।
|
| 29. | मुक्तियाँ भी सायुज्य, सामीप्य, सालोक्य, सारूप्य चार हैं।
|
| 30. | क्षत्रियों ने सायुज्य स्थित होकर प्रतिरक्षा के उत्तरदायित्व में सहयोग दिया ।।
|