अध्याय 9 (2) सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर-जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द के स्थान पर हो उसे सर्वनाम कहते हैं।
22.
जब कोई सर्वनाम शब्द संज्ञा शब्द से पहले आए तथा वह विशेषण शब्द की तरह संज्ञा की विशेषता बताये, उसे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
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अध्याय 9 (2) सर्वनाम और सार्वनामिक विशेषण में अंतर-जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा शब्द के स्थान पर हो उसे सर्वनाम कहते हैं।
24.
2. यौगिक सार्वनामिक विशेषणः जो सर्वनाम मूल सर्वनाम में प्रत्यय आदि जुड़ जाने से विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है उसे यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
25.
2. यौगिक सार्वनामिक विशेषणः जो सर्वनाम मूल सर्वनाम में प्रत्यय आदि जुड़ जाने से विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है उसे यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहते हैं।
26.
फिर इन सर्वनामों से बने सार्वनामिक विशेषण (भ्पे, भ्मत, प्जे) आदि हैं, जिनसे भी ‘ जेण्डर ' नामक तत्व की सूचना मिलती है।
27.
ऐतिहासिक रूप से, अंग्रेज़ी कारक के लिए संज्ञा को अंकित करती थी, और इस कारक अंकन के दो अवशेष हैं सार्वनामिक प्रणाली और संबंधकारक क्लिटिक (जिन्हें सैक्सन संबंधकारक कहा जाता था).
28.
ऐतिहासिक रूप से, अंग्रेज़ी कारक के लिए संज्ञा को अंकित करती थी, और इस कारक अंकन के दो अवशेष हैं सार्वनामिक प्रणाली और संबंधकारक क्लिटिक (जिन्हें सैक्सन संबंधकारक कहा जाता था).
29.
सिंधी की एक बहुत बड़ी विशेषता है उसके सार्वनामिक अंत्यय जो संज्ञा और क्रिया के साथ संयुक्त किए जाते हैं, जैसे पुट्रऊँ (हमारा लड़का), भासि (उसका भाई), भाउरनि (उनके भाई); चयुमि (मैंने कहा), हुजेई (तुझे हो), मारियाई (उसने उसको मारा), मारियाईमि (उसने मुझको मारा)।
30.
सिंधी की एक बहुत बड़ी विशेषता है उसके सार्वनामिक अंत्यय जो संज्ञा और क्रिया के साथ संयुक्त किए जाते हैं, जैसे पुट्रऊँ (हमारा लड़का), भासि (उसका भाई), भाउरनि (उनके भाई); चयुमि (मैंने कहा), हुजेई (तुझे हो), मारियाई (उसने उसको मारा), मारियाईमि (उसने मुझको मारा)।