सार की बात यही है कि सडके उजाड दी गई हैं, शहर में पिछले कई समय से सीवरेज पाईप के प्रोजेक्ट चल रहे हैं और पाईपों को सडक के बीच दबा कर यूं ही धूल से ढ़का जा रहा हैं जिससे ये है की यही है कि कांकरोली, राजनगर व आस पास शहर में धूल कणों का घनत्व बहुत बढ़ गया है।
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सत्यजितजी को बेहद बुरा लगता था मंत्री महाराजा का यह अविवेक ; लेकिन आईएएस ट्रेनिंग की औपचारिक शिक्षा याद रही हो न रही हो, सार की बात अन्य बंधु-बांधवों की तरह उन्होंने भी मन में गोया फेविकोल से चिपका ली थी-निचले पायदान वाले के सर पर पाँव, और उपरले पायदान वाले के पाँव पर सर रखे रहना ही तरक्की की सीढ़ियाँ चढ़ते चले जाने का असली मंतर है।