लौकिक अलौकिक ये दास्तानें आज भी बहुत कुछ कहना और सिखलाना चाहती हैं, यदि हम सुनना और सीखना चाहें।
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स्यात, उसे भी नया पाठ मनुजों को सिखलाना है, जीवन-जय के लिये कहीं कुछ करतब दिखलाना है.
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सबका एक लक्ष्य है जीवन का खुशबु ही खुशबु फैलाना जो चुभना ही जानते हैं उनको भी प्रेम सिखलाना ।
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भ्रष्टाचारी चाहे छोटा हो या बड़ा हो, गांव का हो या शहर का हो, उसको सबक सिखलाना जरूरी है।
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इसी बारे में पूछने पर उन्होंने इतना ही कहा-“जिस विषय को मैं स्वयं नहीं जानता उसे सिखलाना केवल कपट ही होगा।”
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इसके अतिरिक् त कन्याओँ को बचपन से ही सिखलाना जरुरी है कि वे निर्भय होकर माता पिता से अपनी हर बात किया करेँ
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उसे सिखलाना चाहिए कि अपनी खोज-बीन कैसे की जाती है, ताकि एक ऐसी प्रक्रिया हाथ लग जाए, जिससे परिवर्तन का क्रम शुरू होकर चित्त निर्मल हो सके।
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वे जो दिखाना चाहते हैं हमे वही देखना होगा, वे जो सुनाना चाहते हैं हमें वही सुनना होगा, वे जो सिखलाना चाहते हैं हमें वही सीखना होगा।
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उसे सिखलाना चाहिए कि अपनी खोज-बीन कैसे की जाती है, ताकि एक ऐसी प्रक्रिया हाथ लग जाए, जिससे परिवर्तन का क्रम शुरू होकर चित्त निर्मल हो सके ।
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वयस्क होने से पहले बच्चों को गाड़ी चलाना सिखलाना और अपनी हैसियत से अधिक पैसे वाले परिवारों में दोस्ती के कारण, फिजूलखर्च की आदत डलवाना अक्सर घातक सिद्ध होता है!