इसीलिए औपन्यासिक घटनाओं को किसी कथासूत्र में संवारने के बजाय वह मन: स्थितियों और प्रकृति का चित्रण जगह-जगह करते चलते हैं “पश्चिमी क्षितिज में सिन्दूरी रंग बिखेरे हुए सूर्य ने किरणें समेट ली थीं।” “जून के अन्तिम सप्ताह का पहला दिन था।
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शरीर के अस्थिपंजर जिस तरह से स्वतः हिल सृजन कल की शाम छोटे छोटे टुकड़ो में बिखरे सिन्दूरी रंग के बादलों को देखकर गुजार रहा था, साथ ही डूबते सूरज की आकर्षक छवियों के साथ मैं भी कहीं डूब रहा था…… अपनी यादों के आकाशीय क्षितिज पर……
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इन उत्सवी दिनों में जिन्हें विश्व-विद्यालय प्रशाशन तय करता है परम्परागत आकादमिक काला गाउन न पहनकर स्कारलेट डे का उत्सवी अकादमिक ड्रेस में शुमार गाउन पहना जाता है जिसमे स्कारलेट (सिन्दूरी रंग) के कई भाग (एलिमेंट्स) होतें हैं ।इसीलिए इसे स्कारलेट-दिवस (आनादोत्सव) कहा जाता है.
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बिहार के भागलपुर ज़िले के गांव कजरैली की महिलाएं खेत में सिन्दूर उगा रही हैं...सिन्दूर के इन पौधों के फलों से बीज निकाल कर उन्हें हथेली पर मसलने पर उनमें से सिन्दूरी रंग निकलता है...इसी प्राकृतिक रंग को महिलाएं अपनी मांग में सजा रही हैं...इन महिलाओं की देखा-देखी आसपास के गांवों की महिलाओं ने भी घरों में सिंदूर के पौधे लगाने शुरू कर दिए हैं...