हम ज्यों-ज्यों सिल्यूरियन काल की ओर बढ़ते हैं, ये जीवाश्मीय प्रमाण अधिक ठोस और पूर्ण होते जाते हैं।
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नाम के जीव के होने से इतना सत्य है कि ये शैलस्तर सिल्यूरियन युग के बाद के हैं।
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सिल्यूरियन प्रणाली का नामकरण मरचीसन (Murchison) ने सन् १८३५ में इंग्लैंड के वेल्स प्रांत के आदिवासियों के नाम के आधार पर किया।
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शनै: शनै: संसार के अन्य भागों में भी ऐसे स्तर मिले और इस प्रकार सिल्यूरियन प्रणाली पुराजीवकल्प के एक युग के रूप में स्तर-शैल-विद्या में आ गई।
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शनै: शनै: संसार के अन्य भागों में भी ऐसे स्तर मिले और इस प्रकार सिल्यूरियन प्रणाली पुराजीवकल्प के एक युग के रूप में स्तर-शैल-विद्या में आ गई।
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प्रदेश में पाए गए जीवाश्मों के आधार पर विलियम लॉन्रडेल ने सन् 1837 में यह बताया कि वे निक्षेप जिनमें ये जीवाश्म पाए जाते हैं और जो पहले सिल्यूरियन (
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जाइलेम कोशिकाएं पानी के संवहन में विशेषज्ञ होती हैं और सबसे पहले सिल्यूरियन काल में 425 मिलियन से अधिक वर्ष पहले जमीन पर पहुचने के समय पौधों में वे प्रकट हुई थीं.
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जाइलेम कोशिकाएं पानी के संवहन में विशेषज्ञ होती हैं और सबसे पहले सिल्यूरियन काल में 425 मिलियन से अधिक वर्ष पहले जमीन पर पहुचने के समय पौधों में वे प्रकट हुई थीं.
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इस प्रकार आद्य महाकल्प एक “कैंब्रियन पूर्व” (Pre-cambrian), पुराजीवी महाकल्प छह 'कैंब्रियन' (Cambrian), ऑर्डोविशन, (Ordovician), सिल्यूरियन (Silurian), डिवोनी (Devonian), कार्बोनी (Carbniferous) और परमियन (Permian), मध्यजीवी महाकल्प तीन ट्राइऐसिक (Triassic), जूरैसिक (Jurassic) और क्रिटैशस (Cretaceous) और नूतनजीव महाकल्प पाँच आदिनूतन (Eocene), अल्प नूतन (Oligocene), मध्यनूतन (Miocene), अतिनूतन (Pliocene) और अत्यंत नूतन (pleistocene) कल्पों में विभाजित हैं।