| 21. | इस ध्यान में रीढ़ को सीधा रख कर, आंखें बंद करके, गर्दन को सीधा रखना है।
|
| 22. | इसका प्रयोग पृष्ठ को सीधा रखना है या आड़ा तय करने के लिये किया जाता है।
|
| 23. | मुद्रा में लिप्त अँगुलियों के अतिरिक्त अन्य अँगुलियों को सहज रूप से सीधा रखना चाहि ए.
|
| 24. | इस आसन में हाथ और पैरो को जितना संभव हो सीधा रखना चाहिए फिर ऊपर उठाना चाहिए।
|
| 25. | * पीठ की त्वचा के देखभाल के साथ-साथ उठते-बैठते और खड़े होते समय कमर को सीधा रखना चाहिए।
|
| 26. | टहलते समय धड़ को सीधा रखना चाहिए व हाथॅं को व हाथों की गति आगे व पीछे करना चाहिए।
|
| 27. | इसके बाद आपको सिर को सीधा रखना है और बाएं हाथ को हवा में लहराते हुए बाएं तरफ ले जाना है।
|
| 28. | दंडासन में सबसे पहले सीधा तन कर बैठना चाहिए और दोनों पैरों को चहरे के समानान्तर एक दूसरे से सटाकर सीधा रखना चाहिए.
|
| 29. | · सांसे लंबी-लंबी और गहरी लेनी चाहिए तथा चलते या बैठते और खड़े रहते समय अपनी कमर को सीधा रखना चाहिए।
|
| 30. | विपरीत करनी योग मुद्रा अवस्था-Viparita Karani Yoga Technique इस मुद्रा का अभ्यास करते समय मेरूदंड को सीधा रखना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है.
|