(ख)-अपना एहराम बाँधने के बाद अपने शरीर, या कपड़े, या खाने या पीने की चीज़ में खुश्बू न लगाए और न ही खुश्बूदार साबून से सफाई सुथराई करे, रही बात उस बाक़ी बचे सुगंध के प्रभाव की जो उसने अपने एहराम से पहले इस्तेमाल की थी तो उसमें कोई हानि नहीं है।
22.
वह सफाई व सुथराई का आदेश देती है जिससे कोई भी चीज़ परोक्ष और प्रत्यक्ष में अच्छी नहीं है, और उसके अंदर अल्पव्यय का और अपव्यय न करने का आदेश देती है, अपने उन सिद्धांतों और मूल सूत्रों के माध्यम से जो इसका आदेश करने, उस पर उभारने और उसे उन मूल सिद्धांतों की शाखाओं पर उतारने के माध्यम से।
23.
क्योंकि ईद का समय जुमुआ के समय से तंग और सीमित होता है, इसलिए यदि उसे फज्र पर आधारित कर दिया जाए तो नमाज़ का समय निकल सकता है, और इसलिए भी कि स्नान का मक़सद सफाई व सुथराई हासिल करना है, और यह रात में स्नान करके भी प्राप्त हो सकती है क्योंकि वह नमाज़ से क़रीब है, जबकि सर्वश्रेष्ठ यह है कि फज्र के बाद स्नान किया जाए, ताकि मतभेद और विवाद से निकला जा सके, और नमाज़ से क़रीब होने के कारण सफाई व सुथराई में भी अधिक हो।
24.
क्योंकि ईद का समय जुमुआ के समय से तंग और सीमित होता है, इसलिए यदि उसे फज्र पर आधारित कर दिया जाए तो नमाज़ का समय निकल सकता है, और इसलिए भी कि स्नान का मक़सद सफाई व सुथराई हासिल करना है, और यह रात में स्नान करके भी प्राप्त हो सकती है क्योंकि वह नमाज़ से क़रीब है, जबकि सर्वश्रेष्ठ यह है कि फज्र के बाद स्नान किया जाए, ताकि मतभेद और विवाद से निकला जा सके, और नमाज़ से क़रीब होने के कारण सफाई व सुथराई में भी अधिक हो।