इधर जब दमयन्ती के पिता राजा भीम को नल-दमयन्ती के इस महान् दु: ख की खबर मिली तो उन्होंने अनेक सुयोग्य ब्राह्मणों को उनकी खोज में भेजा! सुदेव नाम का एक ब्राह्मण खोजते-खोजते चेदिदेश जा पहुँचा और उसने दमयन्ती को पहचान लिया।
22.
सुदेव, सुगुरू की भक्ति, सुधर्म की आराधना और उसे पुष्ट करने वालीभावनाओं तथा साधार्मिक-वात्सल्य आदि के द्वारा सम्यक्त्व को अधिकाधिकसुदृढ़ एवं निर्मल बनाना चाहिए और सम्यक्तव की भूमिका को तनिक भी आँच नपाये, उसके लिये शंका, आकांक्षा आदि दोषों से बचने के लिये सदा सजग रहनाचाहिये.
23.
उन्होंने चातुर्मास के दौरान सुदेव, सुगुरु और सुधर्म पर सुश्रद्धा द्वारा अपने सम्यक्त्व को अधिकाधिक निर्मल बनाने, वीतराग प्रभु की वाणी को नियमित रूप से सुनने, समझने व उसे हृदयंगम करने की प्रेरणा दी और फरमाया कि इसी में मानव जीवन की सार्थकता है।
24.
सुदेव के यह वचन सुन कर जै देव जी हैरान हुए | उन्होंने सुदेव की तरफ देखा | ' हे भक्त! मैं एक साधू बन गया हूं | घर नहीं, घाट नहीं | मैं शादी करके आप की कन्या को कैसे सुखी रख सकता हूं? ऐसा सोचना ही ठीक नहीं | '
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सुदेव के यह वचन सुन कर जै देव जी हैरान हुए | उन्होंने सुदेव की तरफ देखा | ' हे भक्त! मैं एक साधू बन गया हूं | घर नहीं, घाट नहीं | मैं शादी करके आप की कन्या को कैसे सुखी रख सकता हूं? ऐसा सोचना ही ठीक नहीं | '
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भक्त जै देव जी भगवान की लीला पर हैरान थे | पहले घर से भेजा तीर्थ की ओर तथा फिर तीर्थ पर गृहस्थी बना दिया | सुन्दर पद्मावती बख्श दी | जिस ब्राह्मण कन्या से देवता, पुजारी तथा धनवान विवाह करने की इच्छा रखते थे, वह जै देव जी को बिना कुछ खर्च किए दान हो गई | सुदेव बड़ा प्रसन्न हुआ | वह भक्त जी को घर ले गया और कुछ दिनों पश्चात भक्त जी के मन में आया कि वह अपने नगर जा बसें |
27.
अगले दिन सुदेव वापिस आया | उसके साथ उसकी कन्या पद्मावती थी | उस जैसी सुन्दर कन्या सारी पूरी नगरी में नहीं थी | भोजन खिला कर सुदेव ने फिर बात छेड़ दी तथा कन्या को कहा-' पुत्री! इनके चरणों पर प्रणाम करो | ' कन्या ने ऐसा ही किया | सुदेव ने जबरदस्ती पद्मावती की शादी जै देव के साथ कर दी | प्रभु की इस इच्छा पर जै देव जी स्वयं हैरान थे | ' प्रभु की कैसी लीला है | ' कह कर जै देव जी भजन गाने लग पड़े |
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अगले दिन सुदेव वापिस आया | उसके साथ उसकी कन्या पद्मावती थी | उस जैसी सुन्दर कन्या सारी पूरी नगरी में नहीं थी | भोजन खिला कर सुदेव ने फिर बात छेड़ दी तथा कन्या को कहा-' पुत्री! इनके चरणों पर प्रणाम करो | ' कन्या ने ऐसा ही किया | सुदेव ने जबरदस्ती पद्मावती की शादी जै देव के साथ कर दी | प्रभु की इस इच्छा पर जै देव जी स्वयं हैरान थे | ' प्रभु की कैसी लीला है | ' कह कर जै देव जी भजन गाने लग पड़े |
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अगले दिन सुदेव वापिस आया | उसके साथ उसकी कन्या पद्मावती थी | उस जैसी सुन्दर कन्या सारी पूरी नगरी में नहीं थी | भोजन खिला कर सुदेव ने फिर बात छेड़ दी तथा कन्या को कहा-' पुत्री! इनके चरणों पर प्रणाम करो | ' कन्या ने ऐसा ही किया | सुदेव ने जबरदस्ती पद्मावती की शादी जै देव के साथ कर दी | प्रभु की इस इच्छा पर जै देव जी स्वयं हैरान थे | ' प्रभु की कैसी लीला है | ' कह कर जै देव जी भजन गाने लग पड़े |