समाधि पूर्व वे महारानी देवकी के हाथ में पालक पुत्री सुभगा को सोंप कर बिदा लेते हैं।
22.
यहाँ शेखर और सुभगा की प्रेमकथा का बहाव अत्यंत मंद गति से चलता हुआ-अनुभव होता है।
23.
प्राणापानाभ्यां बलमादधाना, स्वसादेवी सुभगा मेखलेयम् ॥-पार ० गृ ० सू ० २. २. ८
24.
' यह कैसा स्वप्न था? सुभगा! अनिष्ट हुआ क्या तुम्हारे साथ? ' पग उन्हें खींच कर बाहर ले आये।
25.
खदेरन फेंकरनी के सिरहाने जा खड़े हुए-सुभगा, नहीं फेंकरनी, नहीं माँ, नहीं त्रिपुर सुन्दरी, नहीं, नहीं...भीतर गड़गड़ाते स्वर... कान फट जायेंगे।
26.
एक तरफ 1857 के मुक्तिसंग्राम के साथ संलग्न प्रसंगादि तथा चरित्रों का आलेखन और दूसरी ओर राजशेखर और सुभगा के बीच अंकुरित प्रेम का आलेखन।
27.
यह सोहनसिंह शेखर और सुभगा को घुड़सवारी, लक्कड़पट्टी दाँव सिखाते हैं और नारायणी सेना में भी सक्रिय भूमिका अदा कर अपनी देशभक्ति की प्रतीति कराते है।
28.
स्त्री में उमा गौरी सती चण्डी सुन्दरी सुभगा और शिवा इस प्रकार सरस्वती ब्रम्हा के लिए रूद के लिए गौरी तथा भगवान वासुदेव को लक्ष्मी दे दी गई।
29.
... दोनों जातकों की कुंडली अकेले बाँच कर खदेरन पंडित हाथ जोड़ बुदबुदाये थे-विलासी जातक!... जाने क्यों नथुनों में सुभगा की देह से आती सुगन्ध भरती चली गई।
30.
सुभगा??? मेरे साथ साधना करोगे पापी! भउजी के ललाट पर हाथ फेर, कन्या को दुलरा कर सोहित कोठरी से बाहर आँगन में ही नंगी धरती पर चौड़ा हो गया।