देश की सुरक्षा सीमा पर यह जवानो के कत्ले आम वाली खबर पढ़कर एक बार को यह ख़याल भी आया मेरे मन में कि कहीं ऐसा तो नहीं कि पाकिस्तान सदा हमारा ध्यान अपनी और केन्द्रित रखना चाहता है।
22.
आजभी आदान-प्रदान से ही सृष्टि आगे बढ़ पाएगी और यही प्रकृति का नैसर्गिक नियम भी है, पर जब हर आदमी ही खुद में डरा और अंसतुष्ट है अपनी ही सुरक्षा सीमा की लाइनें खींचने में लगा है तो फिर दूसरे पर विश्वास कैसे करपाए और दूसरों के साथ कैसे कुछ बांट पाए?
23.
प्रियंवदा सहाय फ्लाइट के आने के वक्त के चंद मिनटों बाद ही मेरे सामने आ गई और असल में बनी सुरक्षा सीमा से उसके बाहर निकलते ही मैंने बाएँ हाथ से उसका बैग थाम लिया और उसके आधे जिस्म को अपने दाएँ हाथ के घेरे में लेकर बाहर की तरफ जाने लगा।