| 21. | गायत्री कल्पवृक्ष पृथ्वी पर भी एक ऐसा कल्पवृक्ष है, जिसमें सुरलोक के कल्पवृक्ष की सभी सम्भावनाएँ छिपी हुई हैं।
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| 22. | इस समय जितने विवाह हुये उनको देखने आये और जनकपुरी की सजावट देखकर उनको अपने सुरलोक की शोभा लघु लगने लगी ।
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| 23. | तुलसी बाबा से इत्तेफाक नहीं करने का मन कर रहा है-“जे मृग राम के मारे, ते तन तजि सुरलोक सिधारे...” ।
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| 24. | मेनका, रम्भा और सहजन्या का मानना है कि सुरलोक अमर है यहाँ के निवासियों को व्यंजनों की गंध लेकर ही तृप्त होना पड़ता है।
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| 25. | सुरलोक में एक ऐसा कल्पवृक्ष है, जिसके नीचे बैठकर जिस वस्तु की कामना की जाए, वही वस्तु तुरन्त सामने उपस्थित हो जाती है।
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| 26. | यह नवरत्न मण्डित कल्पवृक्ष जिसके पास है, वह विवेकयुक्त यज्ञोपवीतधारी सदा सुरलोक की सम्पदा भोगता है, उसके लिये यह भू-लोक ही स्वर्ग है।
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| 27. | मोहसिन की छोटी बहन दौड़कर भिश्ती उसके हाथ से छीन लिया और मारे खुशी के जा उछली, तो मियॉं भिश्ती नीचे आ रहे और सुरलोक सिधारे।
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| 28. | मोहसिन की छोटी बहन दौड़कर भिश्ती उसके हाथ से छीन लिया और मारे खुशी के जा उछली, तो मियॉं भिश्ती नीचे आ रहे और सुरलोक सिधारे.
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| 29. | मोहसिन की छोटी बहन दौड़कर भिश्ती उसके हाथ से छीन लिया और मारे खुशी के जा उछली, तो मियॉं भिश्ती नीचे आ रहे और सुरलोक सिधारे।
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| 30. | मोहसिन की छोटी बहन ने दौड़कर भिश्ती उसके हाथ से छीन लिया और मारे खुशी के जो उछली, तो मियाँ भिश्ती नीचे आ गए और सुरलोक सिधारे।
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