आउटर टेन नामक अपने ग्रंथ में बुल्क लिखते हैं कि भूत और भविष्य के सपने उतने स्पष्ट नहीं होते क्योंकि ये अति सूक्ष्म अवस्था में रहते हैं जो हमारी स्थूल आँखों की जीवन सीमा से परे होता है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कठपुतली के नृत्य में पुतलों से बँधे धागों के न दीखने से दर्शकों को ये भ्रम हो जाता है कि निर्जीव काठ के पुतले अपने आप ही नाच रहे हों।