देह मिथ्या हुई पढ़ते तो हो, बोलते तो हो लेकिन देह कौनसी, पता है जो दिखती है वह स्थूल देह है, इसके अंदर सूक्ष्म देह है।
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आपकी सूक्ष्म देह, आपका ऊर्जा क्षेत्र और संपूर्ण चक्र-तंत्र का आधार प्राण है, जो कि ब्रह्मांड में जीवन और ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।
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दूरश्रवण, दूरदर्शन, सूक्ष्म देह से व्योममार्ग में गमन, अणिमा, लघिमा, देहान्तर में प्रवेश एवं सर्वोपरि इच्छामृत्यु शक्ति के वे अधिकारी हो गये।
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· ब्रह्माण्ड का प्रवाह ऊर्जा से वस्तु की तरफ होता है अर्थात ऊर्जा मनुष्य की आन्तरिक सूक्ष्म देह से निकल कर भौतिक देह का सृजन करती है।
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१. आज हम जन्मदिन दिनांक अनुसार मनाते हैं तिथि के अनुसार नहीं, तिथि नुसार जन्मदिन मनाने से उस दिन हमारे सभी सूक्ष्म देह के द्वार आशीर्वाद हेतु खुल जाते हैं |
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जैसे गुरु और मंगल ग्रह सूक्ष्म देह से विचरण इत्यादि. इसके बारे में अगले किसी अंक में… राम नवमी-भगवान श्री राम के जन्म दिन की अचूक तारीख, आज राम नवमी है!!
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आगे इसका अध्ययन हम चरणबद्ध ढंग से इस प्रकार से करेंगे-(१) परमात्मा, (२) आत्मा, (३) सूक्ष्म देह या लिंगदेह, (४) इन्द्रिय, आदि के विषय में।
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कहते हैं कि चक्र शक्ति केंद्र या ऊर्जा की कुंडली है जो कायिक शरीर के एक बिंदु से निरंतर वृद्धि को प्राप्त होनेवाले फिरकी के आकार की संरचना (पंखे प्रेम हृदय का आकार बनाते हैं) सूक्ष्म देह की परतों में प्रवेश करती है.
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[2] कहते हैं कि चक्र शक्ति केंद्र या ऊर्जा की कुंडली है जो कायिक शरीर के एक बिंदु से निरंतर वृद्धि को प्राप्त होनेवाले फिरकी के आकार की संरचना (पंखे प्रेम हृदय का आकार बनाते हैं) सूक्ष्म देह की परतों में प्रवेश करती है.
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मालूम होता है, जैसे चावल के परमाणु निकलने के रास्ते और साधन हैं जिन्हें हम देख न सकने पर भी मानते हैं, नहीं तो व्यवस्था न हो के गड़बड़ी हो जाती ; वैसे ही शरीरदाह के बाद उत्तरायण मार्ग में चिताग्नि की ज्योति और दक्षिणायन में उसका धुआँ मृतात्मा की सूक्ष्म देह को ले चलने का श्रीगणेश करते हैं।