(९) डाइनोफाइसिई-इस कुल के शैवाल अधिकतर एक कोशिकीय होते हैं, परंतु सूत्रवत् होने की क्षमता धीरे धीरे बढ़ती जाती है, कोशिकीय दीवारें आभूषित रहती हैं।
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(९) डाइनोफाइसिई-इस कुल के शैवाल अधिकतर एक कोशिकीय होते हैं, परंतु सूत्रवत् होने की क्षमता धीरे धीरे बढ़ती जाती है, कोशिकीय दीवारें आभूषित रहती हैं।
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इस शैवाल में दो विभाग होते हैं, एक तो जमीन में धरातल के समानांतर सूत्रवत् अंश होते है, जिसे भूशायी (prostrate) भाग कहते हैं।
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(९) डाइनोफाइसिई-इस कुल के शैवाल अधिकतर एक कोशिकीय होते हैं, परंतु सूत्रवत् होने की क्षमता धीरे धीरे बढ़ती जाती है, कोशिकीय दीवारें आभूषित रहती हैं।
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कुछ गोल (Coccoid) रूप धारण किए होते हैं, जैसे क्लोरोकॉक्कम (Chlorococcum), कुछ सूत्रवत् (filamentous) होते हैं, जैसे स्पाइरोजाइरा (Spirogyra) तथा यूलोअक्स (Ulothrix) ।