उनमें बसन्त थी, हरनामी थी, कमला थी, रुक्मिणी थी, पाली था, रजिया थी, सकीना थी, ऐमी था, सूदी थाऔर मैं भी थी ; सभी थे।
22.
नबी सल्ललाहो अलेहे व सल्लम के ज़माने मे सूदी कारोबार करने वालो का ऐतराज़ था के आखिर क्यो सूद को हराम और तिजारत को हलाल ठहराया गया | जबकि दोनो ही कारोबार की तरह हैं |
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सिंध के नसरपुर शहर में अरोडवंशी ठक् कर भक् त रतन राय के घर संवत् 1007 चैत्र सूदी दूज शुक्रवार प्रात: 4 बजे श्री वरूण दरियाब देव (श्री झूले लाल) साकार रूप में प्रकट हुए।
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इस प्रकार बाला पीर चैत सूदी १ ४ (तीसरा वैसाख) बिक्रम सम्वत १ ७ २ १ (३ ० मार्च १ ६६ ४) को धीरे से वाहेगुरू शबद् का उच्चारण करते हुए गुरु हरकिशनजी ज्योतिजोत समा गये।
25.
अरोड वंश में पूज्य श्री अमर लाल (श्री झूले लाल) सिंध के नसरपुर शहर में अरोडवंशी ठक्कर भक्त रतन राय के घर संवत् 1007 चैत्र सूदी दूज शुक्रवार प्रात: 4 बजे श्री वरूण दरियाब देव(श्री झूले लाल)साकार रूप में प्रकट हुए।
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तथा इस बात को भी अच्छी तरह जान लें कि सूदी बैंक में पैसा जमा करना जायज़ नहीं है सिवाय इसके कि आपको पैसे पर भय हो और कोई इस्लामी बैंक मौजूद न हो, और उस समय ज़रूरी है कि आप ऐसे खाता में पैसा जमा करें जो सूद वाला न हो।
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जब सूरत ये हो के पूरा मआशरा सूदी निज़ाम पर खड़ा हो तो इस के तमाम अफ़राद खुदा की लानत के शिकार और रहमते खुदावन्दी से धुत्कारे हुए होते हैं | इन के हालात ऐसे होते हैं जैसे इन्हें शैतान छू गया हो इन्हें किसी पहलू करार नही मिलता और ना ही राहत व इतमीनान |
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लेकिन यह जायज़ नहीं है कि यह मदद आपके अल्लाह तआला की हराम की हुई चीज़ में पड़ने का कारण बने, जैसे कि सूदी बैंक से क़र्ज़ लेना, क्योंकि सूद का मामला बहुत गंभीर है, और इसके बारे में ऐसी धमकी और चेतावनी आई है जो इसके अलावा गुनाहों और अवहेलनाओं में नहीं आई है।
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यदि वह ऋण जिसे वह लेता है एक हलाल (वैध) कर्ज़ है अर्थात सूदी नहीं है, और वह इस बात की नीयत रखता है कि ऋण वाले के हक़ का भुगतान कर देगा, तो इसमें कोई हरज (गुनाह) की बात नहीं है, और इस क़र्ज की वजह से वह पापी नहीं समझा जायेगा।
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आज हम अपनी आंखों से देख रहे हैं के जिस समाज मे सूदी लेन-देन होता हैं इसमे बरकत और राहत बाकी नही रहती क्योकि खुदा सूद को मिटा देता हैं | ज़ाहिरी तौर पर आंख पैदावार मे इज़ाफ़ा और ज़रिये आमदनी मे ज़्यादती तो देखती हैं लेकिन बरकत वसायल की ज़्यादती के बावजूद भी नही दिखाई देती जितनी इन वसायल से होनी चाहिए |