हालांकि जिला प्रशासन का कहना था कि ये मुर्गियां बर्ड फ्लू से नहीं बल्कि सेप्टिसीमिया बीमारी से मरी हैं और वे पहले ही मरने वाली मुर्गियों के सेम्पल लेकर बर्ड फ्लू की जांच कर चुके हैं।
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उदयपुर. महाराणा भूपाल अस्पताल के बर्न वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों को संक्रमण से बचाने के कोई इंतजाम नहीं है और इसी कारण 10 से 40 फीसदी झुलसे लोग भी सेप्टिसीमिया की चपेट में आकर मौत की नींद सौ रहे हैं।
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गत पचीस वर्षों में जीवाणुद्वेषी द्रव्यों (ऐंटीबायोटिक्स), जैसे सल्फ़ानिलैमाइड, सल्फ़ाथायाज़ोल इत्यादि तथा पेनिसिलिन, स्ट्रेप्टोमाइसिन आदि से फुफ्फुसार्ति (निमोनिया), रक्तपूतिता (सेप्टिसीमिया), क्षय (थाइसिस) आदि भयंकर रोगों पर भी नियंत्रण शक्य हो गया है।