247. तमअ (लोभ) घाट पर उतारती है मगर सेराब (त्रप्ति) किये बग़ैर पलटा देती है, ज़िम्मेदारी का बोझ उठाती है मगर उसे पूरा नहीं करती।
22.
तथा तू खाना खा न पानी पी, क्योंकि अगर अल्लाह तआला ने तेरे लिए पेट भरना और सेराब होना मुक़द्दर किया होगा तो ऐसा अवश्य होगा, अन्यथा कभी नहीं होगा।
23.
इन लोगों की आंखों को क़ुरआन के ज़रिये रौषन किया जाएगा और उनके कानों में तफ़सीर को मुसलसल पहुंचाया जाएगा और उन्हें सुब्ह व “ ााम हुकुमत के जामों से सेराब किया जाएगा।
24.
आप वही के पाक चश्ने से सेराब हुए और रसूल (स 0) के क़दम ब क़दम हमराह रहे, आप की इस हमराही को आप ने इस तरह बयान किया है “
25.
(मोअज़ा) लोग! एक बाअमल नसीहत करने वाले के चिराग़े हिदायत से रोषनी हासिल कर लो और एक ऐसे साफ़ चष्मे से सेराब हो जाओ जो हर आलूदगी से पाक व पाकीज़ा है।
26.
ख़ुदाया हमें बाराने रहमत से सेराब कर दे और हमें मायूस बन्दों में क़रार न देना और न क़हत से हलाक कर देना और न हमसे उन आमाल का मुहासेबा करना जो हमारे जाहिलों ने अन्जाम दिये हैं।
27.
देखो दुष्मनों ने तुमसे ग़िज़ाए जंग का मुतालबा कर दिया है अब या तो तुम ज़िल्लत और अपने मुक़ाम की पस्ती पर क़ायम रह जाओ या अपनी तलवारों को ख़ून से सेराब कर दो और ख़ुद पानी से सेराब हो जाओ।
28.
देखो दुष्मनों ने तुमसे ग़िज़ाए जंग का मुतालबा कर दिया है अब या तो तुम ज़िल्लत और अपने मुक़ाम की पस्ती पर क़ायम रह जाओ या अपनी तलवारों को ख़ून से सेराब कर दो और ख़ुद पानी से सेराब हो जाओ।
29.
ख़ुदा की क़सम! मैं उन के लिये एक ऐसा हौज़ छलकाऊंगा जिस का पानी निकालने वाला मैं हूं कि जिस से सेराब हो कर पलटना उन के बस में न होगा और न उस के बाद कोई गढ़ा खोद कर पानी पी सकेंगे।
30.
(((-इस मसले का ताल्लुक़ दुनिया में इख़लाक़ी बरताव से है जहां ज़ालिमों को इस्लामी इख़लाक़ात से आगाह किया जाता है और कभी लश्करे माविया पर बन्दिश आब को रोक दिया जाना जाता है और कभी इब्ने मुलजिम को सेराब कर दिया जाता है।