बहुतों ने लिखा है नवरात्रि पूजन तबतक सफल नहीं कही जा सकती जबतक स्त्रीजाति को उसका सही दर्जा नहीं मिल जाता, कन्या पूजन करनवाले कन्या का जीवन सम्मान नहीं करते, भ्रूण हत्या बंद नहीं हो जाती … आइये हम सब मिलकर प्राण करें कि हम कन्या, बालिका, महिला में अपनी बेटी, माँ और बहन की छवि देखेंगे!
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जबकि उदाहरण के लिए चुनी गई इन नौ व्रत कथाओं में स्त्री का पुरुष के प्रति प्रेम, समर्पण तथा निष्ठा तो है किन्तु साथ ही यह स्त्री इच्छित पति चुन सकती है, यमराज अर्थात् सबसे निष्ठुर व्यक्ति से भी लड़ कर जीत सकती है, उसमें अपने अधिकारों के लिए लड़ने की क्षमता है, वह स्त्रीजाति के अस्तित्व के प्रति सजग है।