सिर्फ व्यवहार में ही ऐसा नहीं होता कि कोई स्त्री एक पुरुष जैसा व्यवहार करे उस जैसी आदतें और प्रवृति और प्रकृति रखे और कोई पुरुष एक स्त्री जैसा रहे बल्कि अस्तित्व की गहराई में तो हरेक स्त्री के अंदर एक पुरुष भी है और हरेक पुरुष के अंदर एक स्त्री।
22.
सिर्फ व्यवहार में ही ऐसा नहीं होता कि कोई स्त्री एक पुरुष जैसा व्यवहार करे उस जैसी आदतें और प्रवृति और प्रकृति रखे और कोई पुरुष एक स्त्री जैसा रहे बल्कि अस्तित्व की गहराई में तो हरेक स्त्री के अंदर एक पुरुष भी है और हरेक पुरुष के अंदर एक स्त्री।
23.
वैसे, मेरी एक जिज्ञासा यह भी है कि जरूरत पडने पर एक बार भगवा वेश छोडने पर क्या उन्हें बाबारूप से विचलित भी नहीं मान लेना चाहिए या फिर यह मान लिया जाए कि बाबा या फिर सामान्य स्त्री जैसा कोई वेष दोनों में उन्हें कोई अंतर नहीं दिखता, ऐसा है तो मैं भारत के सारे धर्माचार्यों, शंकराचार्यों से निवेदन करता हूं कि बाबा के वेश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठने चाहिए।
24.
वैसे, मेरी एक जिज्ञासा यह भी है कि जरूरत पडने पर एक बार भगवा वेश छोडने पर क्या उन्हें बाबारूप से विचलित भी नहीं मान लेना चाहिए या फिर यह मान लिया जाए कि बाबा या फिर सामान्य स्त्री जैसा कोई वेष दोनों में उन्हें कोई अंतर नहीं दिखता, ऐसा है तो मैं भारत के सारे धर्माचार्यों, शंकराचार्यों से निवेदन करता हूं कि बाबा के वेश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर भी सवाल उठने चाहिए।