| 21. | दशा उस प्रकार परिस्फुट नहीं की गई है जिस प्रकार राग की स्थायी दशा ' रति'।
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| 22. | कोई भाव अपनी भावदशा में ही है या स्थायी दशा को प्राप्त हुआ है इसकी
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| 23. | प्रति प्राय: चित्त की ऐसी स्थायी दशा हो जाती है कि उसका ध्यान या प्रसंग
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| 24. | एक भाव के प्रतीतिकाल में वैसा नहीं रहता जैसा उस भाव की स्थायी दशा में
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| 25. | पर क्रोध की स्थायी दशा बैर भी इस प्रकार परिस्फुट किया जा सकता है कि
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| 26. | ' रति' को छोड़ (जो 'राग' की स्थायी दशा है) क्रोध आदि भावों में यह लक्षण
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| 27. | एक आलंबन के प्रति होती है, स्थायी दशा अनेक अवसरों पर एक ही आलंबन के
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| 28. | कई एक हैं, उसे पता लग जायगा) तो उसे भाव की स्थायी दशा का संचारी समझिए।
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| 29. | भाव ही के हुआ करते हैं (चाहे प्रधान के हों या संचारी के) उसकी स्थायी दशा
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| 30. | किन्तु अवलोकनों से प्राप्त तथ्यों के द्वारा स्थायी दशा सिद्धान्त के लिये कठिनाइयां उत्पन्न होती गईं।
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