टूटे और बिखरे हुए परिवार, बिना विवाह के पैदा हुये बच्चे, ऐसे पिता और मायें जिन का न कोई देख रेख करने वाला है और न ही कोई पूछने वाला है, और जैसा कि कुछ विद्वानों ने कहा है कि यदि आप इन लोगों की स्थिति का पता लगाना चाहते हैं तो जेलों, अस्पतालों और बूढ़े और कमज़ोर लोगों के केन्द्रों पर जायें, बेटे अपने बापों को केवल अवसरों और ईदों पर ही जानते हैं।