वस्तुतः ब्रिटिश सत्ता के प्रति वफ़ादार इन सुधारकों का बहुलांश स्वयं भू-स्वामी था और गाँवों के दलितों की स्थिति सुधारना तो दूर, ये अन्य भू-स्वामियों की तरह ही उनके उत्पीड़क थे।
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सुभाष बाबू मजदूरों से सुहानुभूति रखते हैं और उनकी स्थिति सुधारना चाहते हैं| पंडित जी एक क्रांति करके सारी व्यवस्था ही बदल देना चाहते हैं| सुभाष भावुक हैं-दिल के लिए नौजवानों को बहुत कुछ दे रहे हैं, पर मात्र दिल के लिए| दूसरा युगांतरकारी है जो कि दिल के साथ-साथ दिमाग़ को भी बहुत कुछ दे रहा है