40 वें वर्ष में ‘ इक्रा बि इस्मि रब्बिक ' से लेकर मरने के 17 दिन (किसी-किसी के मत से 12 दिन) पूर्व ‘ रब्बिकल् अक्रम ' (प्रभु तू अति महान् है) दस वाक्य के उतरने तक, जो कुछ दिव्योपदेश महात्मा मुहम्मद द्वारा प्रचारित हुआ, उसी का संग्रह क़ुरान के नाम से प्रसिद्ध, मुसलमानी धर्म का स्वतः प्रमाण ग्रन्थ है।
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" ५ भुवन ने भी उसी की पुष्टि की है जबवे कहते हैं-" कितना बड़ा है जीवन, कितना विस्तृत, कितना गहरा, कितना प्रवहमान औरउसमें व्यक्ति की ये छोटी-छोटी इकाइयां-प्रवाह से अलग जो कोई अस्तित्व नहीं रकतीं, कोई अर्थ नहींरखतीं, फिर भी सम्पूर्ण हैं, स्वायत्त हैं, अद्वितीय हैं और स्वतः प्रमाण हैं क्योंकिअन्ततो-~ गत्वा आत्मानुशासित हैं, अपने आगे उत्तरदायी हैं-हम सब नदी के दीप हैं, दीप से दीप एक सेतु हैं.